रोटी बैंक: गरीबो की भूख मिटाती एक अनोखी मुहिम

16 May
रोटी बैंक

सड़क पर चलते हुए भी हम ऐसे लोगों को देखते है जो दाने दाने के लिए मोहताज़ होते है.अब ज़रा सोचिये कितन अच्छा हो कि इन सब लोगों को दो वक्त की रोटी मिल जाए. अगर ऐसा हो जाये तो ना जाने कितनी जाने बच सकती है!

अब शायद ऐसा मुमकिन हो सकता है, एक छोटी सी शुरुआत हुई है और अगर इसे लोगों का समर्थन मिला तो ये मुहीम बहुत सी जाने बचाने में सहायक हो सकती है!

आपने Money bank, Eye Bank और Blood Bank के बारे में तो सभी जानते हैं। क्या आपने कभी Roti Bank के बारे में सुना है। शायद नहीं।


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महोबा में शुरू किया देश का पहला रोटी बैंक

तारा पाटकर ने 15 अप्रैल 2015 को महोबा जिला मुख्यालय में पहली बार रोटी बैंक की स्थापना की। इसके लिए उन्होंने 10 लोगों की एक टीम बनाई। ये लोग अपने-अपने घरों से दो-दो रोटी और सब्जी लेकर एक स्थान पर जमा करते थे। वहां से जरूरतमंद लोगों को रोटी दी जाती थी। तीन माह के अंदर ही शहर के लगभग 500 घरों से खाना जमा होने लगा। लोग स्वेच्छा से खाना दान कर इस काम में सहयोग करने लगे। अब शहर के कई जगहों पर ये काउंटर हैं, जहां से भूखों को मुफ्त में खाना दिया जाता है। दो शिफ्टों में खाना उपलब्ध कराया जाता है। सुबह 7 से 10 के बीच और शाम 7 से रात 12 बजे तक। खास बात ये है कि किसी को भी बासी खाना नहीं दिया जाता है। सुबह का बचा खाना शाम को और शाम का बचा खाना अगले दिन गायों और अन्य आवारा पशुओं को खिला दिया जाता है। रोटी बैंक के संचालक तारा पाटकर कहते हैं,

“मैंने एक हेल्पलाईन नंबर भी जारी किया है, जिसपर फोन कर के भी भूखों को खाना पहुंचवाया जा सकता है। भविष्य में मेरी योजना इस रोटी बैंक के कॉंसेप्ट को गांवों तक पहुंचाने की है, ताकि गांवों में भी कोई भूखा न रहे। दिलचस्प बात ये है कि महोबा से शुरू किया गया रोटी बैंक का ये विचार अबतक देश के कई हिस्सों में पहुंच गया है.”
महोबा के बाद इंदौर, छतरपुर, ललितपुर, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, आगरा, हमरीपुर, औरई, हजारीबाग और गुजरात के कुछ इलाकों तक रोटी बैंक लोगों ने खोल दिया है। तारा पाटकर कहते हैं,

“देश और दुनिया भर में घरों में रोजाना इतना खाना बर्बाद होता है कि उससे दुनिया भर के भूखे लोगों का पेट भरा जा सकता है। महानगरों में बड़े-बड़े फाइव स्टार होटलों में रोजाना हजारों लोगों का खाना फेंका जाता है, जबकि दूसरी ओर उन्हीं शहरों में कुछ गरीब भूखे सो जाते हैं। हमे भोजन की बर्बादी और भूखे लोगों के बीच की इस दूरी को पाटने की जरूरत है। सरकारी गोदामों में सालाना लाखों टन सड़ रहे अनाजों को उन जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाना होगा, और ऐसा तभी संभव होगा जब सामाजिक स्तर पर प्रयास किए जाऐंगे।”

अब दिल्ली में भी खुला गया है रोटी बैंक

लेकिन अब भारत की राजधानी दिल्ली में एक अनोखा बैंक रोटी बैंक (Roti Bank) भी है।
ये अनोखा बैंक दिल्ली की आजादपुर मंडी में खोला गया है। ये रोटी बैंक कुछ समाजसेवियों के साथ आजादपुर मंडी मे फलों का व्यापार करने वाले व्यापारी राजकुमार भाटिया (Rajkumar Bhatiya) ने शुरू किया है।
यहां पर खाना जमा करने की एक अनोखी मुहिम चलाई जा रही है जिसमे स्थानीय व्यापारी रोज अपने घर से रोटी, सब्जी और अचार लेकर आते है और एक गत्ते के डिब्बे में रख देते हैं और बाद में यह खाना जरूरतमंद लोगों के बीच बांट दिया जाता है। यहाँ कोई भी आदमी आकर रोटी और सब्जी दे सकता है।
बैंक मे खाने पीने की चीजों के अलावा कुछ नहीं लिया जाता है। यहां पर हर भूखे, गरीब और जरूरतमंद इंसान के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम किया गया है। इसके बदले मे किसी से 1 रुपया भी नहीं लिया जाता है। भले ही दिल्ली भारत की राजधानी है लेकिन गरीबों, बेसहारा और लाचार लोगो की यहाँ बिलकुल भी कमी नहीं है।

इस अनोखी मुहिम की शुरुआत किसी कंपनी या NGO की मदद से नहीं हुई है। जिस तरह हर एक बड़ी घटना के पीछे कोई वजह छुपी होती है उसी तरह इस मुहिम के पीछे भी एक वजह है।
इस मुहिम के विचारक राजकुमार भाटिया(Rajkumar Bhatiya) के अनुसार एक दिन उनके पास एक गरीब भूखा आदमी आया और उसने उनसे खाना मांगने लगा ।
उन्होने उस आदमी की हालत देखकर उसे कुछ पैसे दिये। तब उस आदमी ने पैसे लेने से मना कर दिया और कहा कि उसे पैसे नहीं खाने की जरूरत है क्योकि कई दिन से उसने कुछ नहीं खाया।
इस घटना के बाद उनके दिमाग मे roti bank का विचार आया। इसकी एक ओर खास बात यह है कि यहाँ किसी से भी किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं ली जाती।
हर आदमी सिर्फ अपने घर से रोटी सब्जी लेकर लाए, ताकि गुणवत्ता में किसी तरह की कमी न हो।

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