ज़ुलु युद्ध में महात्मा गांधी का भूमिका? zulu yudh M gandhi
ज़ुलु युद्ध में महात्मा गांधी का भूमिका?
1906 ईसवी में ज़ुलु दक्षिण अफ्रीका में नए चुनाव करके लागू करने के बाद दो अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला गया !बदले में अंग्रेजों ने ज़ुलु के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया गांधी जी ने भारतीयों को भर्ती करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों की सक्रिय रूप से प्रेरित किया !
अंग्रेज ने अपनी सेना में भारतीयों की पद देने से इनकार कर दिया इसके बावजूद उन्होंने गांधीजी के इस प्रस्ताव को मान लिया कि भारतीय घायल अंग्रेज सैनिकों के उपचार के लिए स्ट्रेचर पर लगने के लिए स्वक्ष पूर्वक कार्य कर सकते हैं! इस कोर की बागडोगरा गांधीजी नै थामी !
21 जुलाई 1906 को गांधी जी ने भारतीय जनमत इंडियन ओपनिंग में लिखा कि तेज भारतीय निवासियों के विरुद्ध चलाए गए ऑपरेशन के संबंध में प्रयोग द्वारा लेटर सरकार के कहने पर एक कोर का गठन किया गया दक्षिण अफ्रीका में भारतीय लोगो से इंडियन ओपिनियन मैं अपने कर्मों के माध्यम से इस युद्ध में शामिल होने के लिए आग्रह किया और कहा यदि सरकार केवल यही महसूस करती है कि आरक्षित वन बेकार हो रही है तब वे इसका उपयोग करेंगे और असली लड़ाई के लिए भारतीयों का परीक्षा देकर इसका अवसर देंगे!
इसे भी जरूर पढ़ें
- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन परिचय
- पंडित जवाहरलाल नेहरु की जीवनी
- डॉ राजेंद्र प्रसाद की जीवनी
- नमक सत्याग्रह
- अटल पेंशन योजना
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय लोगों से इंडियन ओपिनियन में अपने कॉलमों के माध्यम से इस युद्ध में शामिल होने के लिए आग्रह किया और कहा, यदि सरकार केवल यही महसूस करती हे कि आरक्षित बल बेकार हो रहे हैं तब वे इसका उपयोग करेंगे और असली लड़ाई के लिए भारतीयों का प्रशिक्षण देकर इसका अवसर देंगे।
गांधीजी की (ज़ुलु युद्ध) राय में, 1906 का मसौदा अध्यादेश भारतीयों की स्थिति में किसी निवासी के नीचे वाले स्तर के समान लाने जैसा था। इसलिए उन्होंने सत्याग्रह (Satyagraha), की तर्ज पर “काफिर (Kaffir)s ” .का उदाहरण देते हुए भारतीयों से अध्यादेश का विरोध करने का आग्रह किया। उनके शब्दों में, ” यहाँ तक कि आधी जातियां और काफिर जो हमसे कम आधुनिक हैं ने भी सरकार का विरोध किया है। पास का नियम उन पर भी लागू होता है किंतु वे पास नहीं दिखाते हैं।