क्या आप भी NRC से बाहर तो नहीं हो रहे हैं??
आज देश में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजनशिप को लेकर भय और दहशत का माहौल बना हुआ है बहुत सारी गलतफहमियां भी उनमें हैं जो लोगों को जानना जरूरी है आइए आज हम राष्ट्रीय नागरिकता पणजी राष्ट्रीय जनसंख्या पणजी और नागरिकता अधिनियम 1955 के बारे में विस्तार से जानेंगे
नागरिकता क्या है
नागरिकता एक विचार है, लोगों को अलग रखने का यह लोगों को ना होकर राज्य को संविधान से अधिकार दिया गया है कि वह किसको नागरिक माने और किसको बाहरी
भारतीय संविधान में नागरिकता के बारे में क्या कहा गया है
भारतीय संविधान में भाग 2 के अनुच्छेद 5- 11 तक नागरिकता के बारे में बातें की गई है के किस-किस तरह के के नागरिक होंगे लेकिन संविधान में नागरिक का कोई भी डेफिनेशन नहीं दिया गया है।
भारत में नागरिकता कानून कब लागू हुआ
आजादी के बाद भारत का पूरा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ लेकिन नागरिकता का कानून 26 नवंबर 1949 को ही लागू हो गया था।
नागरिकता कानून लागू होने के समय कौन-कौन भारत के नागरिक माने गए
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5 का कहना है कि वह सभी लोग भारत के नागरिक माने गए जो नागरिकता कानून लागू होने तक भारत में पैदा हो गए थे ।
दूसरा अगर किसी व्यक्ति के मां-बाप में से कोई एक भारत में पैदा हो गया वह भारत का नागरिक समझा गया।
तीसरा संविधान लागू होने के समय जो भी लोग 5 वर्ष से भारत में रह रहा था वह भारत का नागरिक माना गया
आसान शब्दों में अलग है तो संविधान के लागू होने के समय भारत की नागरिकता जन्म की बुनियाद पर हर उस व्यक्ति को मिला जो भारत में पैदा हुआ या उसके मां-बाप भारत में पैदा हुए या फिर वह 5 साल से भारत में रह रहा था
भारत के संविधान का अनुच्छेद 11 नागरिकता के विषय में क्या कहता है
अनुच्छेद 11 संसद कोई अधिकार देता है कि वह भविष्य के लिए नागरिकता से संबंधित विषय पर कानून बनाएं
इस अधिकार का प्रयोग कर संसद ने 1955 में भारतीय नागरिकता अधिनियम बनाया जिसमें 3 बार संशोधन 1987 से 2003 ईस्वी और 2015 में क्या गया है।
एनआरसी क्या है
यह एक पण पंजी यानी रजिस्टर है जिसमें देश के सभी नागरिकों का नाम दर्ज है ।आजादी के बाद पहली बार असम में नए सिरे से राष्ट्रीय नागरिकता पंजी तैयार किया गया जिसमें करीब 1900000 से ज्यादा लोग इस पंजी से बाहर हो गए इससे पूरे देश में डर और भय का माहौल पैदा हुआ है। भाई को पैदा करने में बहुत सारी अफवाह जानकारी का अभाव ही जिम्मेदार है।
आइए हम इस भय को दूर करने के लिए भारत के नागरिकता अधिनियम के सेक्शन 3 को समझने की कोशिश करता है।
संविधान लागू होने के बाद भारतीय नागरिकता अधिनियम बनने के पश्चात कौन-कौन लोग भारतीय नागरिक हैं यह नागरिकता अधिनियम सत्संग 3 में दर्ज हैं
नागरिकता अधिनियम के सेक्शन तीन के अनुसार आज भारत के नागरिक कौन हैं। या अगर पूरे देश में एनआरसी लागू होता है तो इसी आधार पर ही भारत का नागरिक माना जाएगा।
पहली शर्त नागरिकता अधिनियम के सेक्शन तीन के अनुसार हर वह व्यक्ति जो 26 जनवरी 1950 ई. से 30 जून 1987 ईस्वी के बीच भारत में पैदा हुआ हो वह भारत का नागरिक है।
दूसरी शर्त 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच में जो भी व्यक्ति भारत में पैदा हुआ हो वही व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा जिनके मां-बाप में से कोई भी एक भारतीय नागरिक होगा।
तीसरा शर्त यह है कि कोई भी व्यक्ति अगर 2004 के बाद पैदा हुआ हो उनमें से वही भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर उनके माता और पिता दोनों भारतीय नागरिक हो या दोनों में से एक भारतीय नागरिक हो और दोनों में से एक अवैध अप्रवासी या घुसपैठिया नहीं हो।
अवैध अप्रवासी किसे माना जाता है
वह व्यक्ति जो देश में बिना अनुमति का प्रवेश किया हो ,घुसपैठ करके प्रवेश किया हो, या बिना पासपोर्ट या वीजा का प्रवेश किया हो ,सही कागजात के बिना आया हो ,या गैर कानूनी तरीके से आया हो सभी लोगों को अवैध प्रवासी या इलीगल इमीग्रांट्स माना जाता है।
राष्ट्रीय जनसंख्या पणजी यानी एनपीआर क्या है
यह एक भारतीय जनसंख्या का रिकॉर्ड है कि कौन कहां रहता है और आगे कहां रहेगा भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नई लोकसभा के अभिभाषण में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी का जिक्र किया था उसके बाद एक नोटिफिकेशन आया जिसमें कहा गया कि 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी का काम पूरा किया जाएगा।
अब इस बार का भ्रम फैल गया है कि एनपीआर ही NRC है।
जो कि एक बात पूरी तरह साफ है कि एनपीआर एनआरसी नहीं है। एनपीआर 2003 के संशोधन और 2010 के संशोधन के बाद पूरा नहीं हुआ अब दोबारा पूरा करने की बात हो रही है।
अगर देश में एनआरसी नए सिरे से लागू करने की बात होगी तो आपको किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है
आपको सिर्फ तीन बातों पर ध्यान देने की जरूरत
पहला अगर आप की पैदाइश 26 जनवरी 1950 से 30 जून 1987 के बीच हुई है तो आप भारत के नागरिक माने जाएंगे।
दूसरा अगर आप की पैदाइश 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच में हुई है और आपके माता-पिता में से कोई भी एक भारतीय नागरिक है तो आप भारत नागरिक मारे जाएंगे
तीसरा अगर आपके पैदाइश 2004 ईस्वी के बाद हुई है तो आपके माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक होने चाहिए या नहीं तो दोनों में से एक भारतीय और एक अवैध अप्रवासी नहीं होनी चाहिए आप भारत के नागरिक माने जाएंगे।
अगर आपके पास उपर्युक्त शर्त को पूरा करने के कागजात की कमी है और आप की पैदाइश 1 जुलाई 1987 के बाद है जाहिर सी बात है कि आपके माता-पिता 1984 के इलेक्शन का वोटर रहे होंग। 1984 के मतदाता पंजी से अपने माता-पिता का नाम खोज लेना है इससे आप की माता पिता के साथ आपकी और आपके बच्चे की भी नागरिकता सिद्ध करने में आसानी होगी।