टीबी मुक्त भारत अभियान क्या है

27 Sep

क्या है टीबी मुक्त भारत अभियान, आइए जाने

आजादी के लंबे समय बाद टीबी की बीमारी देश के लिए एक गंभीर चुनौती है हालांकि सरकारी बीमारी के रोकथाम के लिए कई कार्यक्रम चला चुकी है लेकिन सूचना और जानकारियों के अभाव के कारण इस रोक को पूरी तरह अंकुश नहीं लगाया जा सकता है! टीबी की बीमारी को गंभीरता से लेते हुए! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की वर्ष 2025 तक तपेदिक रोग टीवी केशव पाया के लिए एक अभियान की शुरुआत की किस शहर से टीबी के खत्म के लिए तय की गई समय सीमा वर्ष 2030 है! यह दिल्ली टीबी खात्मा शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री ने टीवी मुक्त भारत अभियान शुरू किया! इतना टीवी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय राजनीतिक योजना के तहत गतिविधियां होंगी ताकि इस रोक के 2025 तक सफाया के लिए मिशन के रूप में आगे बढ़ाया जाए!

मोदी ने कहा” विश्वभर में टीबी के उन्मूलन के लिए वर्ष 2030 का लक्ष्य किया गया है! मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि हमने इस रोग से भारत से सफाया के लिए 5 वर्ष पहले वर्ष 2025 की समय सीमा तय की है!”

उन्होंने स्थिति का विश्लेषण करने और तौर तरीका बदलने पर जोर दिया प्रधानमंत्री ने कहा कि टीबी पर रोक लगाने के प्रयासों के अब तक सफल परिणाम सामने नहीं आए हैं और टीवी के देश से सफाया मैं राज्य सरकारों की अहम भूमिका है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस दिशा में टीवी फिजीशियन और कर्मचारियों का योगदान महत्वपूर्ण है जिस के संपर्क में मरीज सबसे पहले आते हैं!

मोदी ने कहा टीबी के भारत से सफाया में राज्य सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है! मैंने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा कि इस मिशन से जुड़ने को कहा उन्होंने कहा कि यह सहयोगात्मक संघवाद की भावना को बल मिलेगा! प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सकर्मक रोगों में सबसे ज्यादा लोग टीवी से प्रभावित हैं और इससे प्रभावित होने वाले सर्वाधिक लोग गरीब है! रोगके सफ़ाया की दिशा में उठाया गया एक कदम का सीधा संबंध उन लोगों के जीवन से है किस सम्मेलन में शरीक होने के लिए विश्वभर के नेता राष्ट्रीय राजधानी में जुटे हैं!

इस सम्मेलन की मेजबानी चेंजर स्वास्थ्य मंत्रालय w.h.o. और स्टाफ टीबी पार्टनरशिप के साथ मिलकर कर रहा है! वर्ष 2016 में 1700000 लोगों की मौत की वजह टीवी थी यह सम्मेलन सितंबर 2018 में टीवी विषय पर होने वाली संयुक्त राष्ट्रीय उच्च स्तरीय बैठक के लिए मंच तैयार कर देगा!

क्या होता है तपेदिक?

एक वक्त था, जब टीबी रोग एक भयानक बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब इसका ईलाज बहुत आसान हो गया है। टीबी रोग को तपेदिक, क्षय और यक्षमा जैसे कई नामों से जाना जाता है। तपेदिक संक्रामक रोग होता है जो माइकोबैक्टिरीअम टूबक्र्यूलोसस नामक जीवाणु के कारण है। तपेदिक के मूल लक्षणों में खांसी का लगातार आना, थूक का रंग बदलना मतलब खून जैसा रंग हो होना, बुखार, थकान, सीने में दर्द, भूख कम लगना, सांस लेते वक्त तकलीफ होना! खांसने के दौरान गले में दर्द होना। यदि ये लक्षण नजर आएं, तो घबराएं नहीं, बराबर चेकअप करवाए! डॉक्टर से सलाह ले, इसका इलाज संभव है। यह बीमारी ला-इलाज नहीं हैं। इस बीमारी से खुद भी अवेयर रहें और दूसरों को भी अवेयर करें।

टीबी बीमारी के ये हैं प्रमुख लक्षण…

  • लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना।
  • खांसी के साथ खून का आना।
  • छाती में दर्द और सांस का फूलना।
  • वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना।
  • शाम को बुखार का आना और ठंड लगना।
  • रात में पसीना आना।

टीबी का उपचार  (टीबी मुक्त )

टी.बी. के उपचार की शुरुआत सीने का एक्स-रे लेकर तथा थूक या बलगम की लेबोरेटरी जांच कर की जाती है।

आजकल टी.बी. के उपचार के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स/एंटीबेक्टेरियल्स दवाओं का एक साथ प्रयोग किया जाता है। यह उपचार लगातार बिना छोरी 6 से 9 महीने तक चलता है।

इस रोग की दवा लेने में अनियमितता बरतने पर, इसके बैक्टीरिया में दवाई के प्रति प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है। इससे बैक्टीरियाओं पर फिर दवा का असर नहीं होता। यह स्थिति रोगी के लिए खतरनाक होती है। एंटीबायोटिक्स ज्यादा प्रकार की देने का कारण भी यही है कि जीवाणुओं में प्रतिरोध क्षमता पैदा न हो जाए।

उपचार के दौरान रोगी को पौष्टिक आहार मिले, वह शराब-सिगरेट आदि से दूर रहे।

बच्चों को टी.बी. से बचने के लिए बी.सी.जी. का टीका जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है। अब ये माना जाने लगा है कि बीसीजी के टीके की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

टीबी की रोकथाम के लिए मरीज के परिवारजनों को भी दवा दी जाती है, ताकि मरीज का इन्फेक्शन बाकी सदस्यों को न लगे जैसे पत्नी, बच्चे व बुजुर्ग अदि। इसके लिए उन्हें आइसोनेक्स की गोली तीन माह तक दी जाती है।

टीबी-मुक्त राज्य

बडगाम (जम्मू-कश्मीर)। जहां एक ओर देश में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई कठिन होती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ गंभीर संक्रामक बीमारी तपेदिक (टीबी) के मामले में राहत देने वाली खबर सामने आई है। जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप को हाल ही में टीबी-मुक्त घोषित किया गया है। भारत में टीबी मुक्त होने वाले ये पहले राज्य हैं। ऐसा तब संभव हुआ है, जब दुनिया के लगभग 30 प्रतिशत टीबी के मामले अपने देश में हैं और भारत दुनिया की टीबी राजधानी के रूप में जाना जाता है।

 

We’ve now declared one union territory – Lakshadweep and one district in Jammu Kashmir – Budgam as tuberculosis free. I think this is a landmark achievement to begin with I think it has already set the tone for a TB-free India by 2025: Union Health Minister Dr Harsh Vardhan

 

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