राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी (Mahatma Gandhiji) का जीवन परिचय

14 May
महात्मा गांधी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)  के जीवन व उनके प्रमुख आंदोलनों की दिलचस्प जानकारी

जब भी हम अपने देश भारत के इतिहास की बात करते हैं, तो स्वतंत्रता संग्राम की बात जरुर होती हैं और इस स्वतंत्रता संग्राम में किन – किन सैनानियों ने अपना योगदान दिया, उन पर भी अवश्य चर्चाएँ होती हैं. भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में यहाँ पढ़ें. इस स्वतंत्रता संग्राम में दो तरह के सेनानी हुआ करते थे,

पहले -: जो अंग्रेजों द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों का जवाब उन्हीं की तरह खून – खराबा करके देना चाहते थे, इनमें प्रमुख थे -: चंद्रशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह, आदि.

दूसरे तरह के सेनानी थे -: जो इस खूनी मंज़र के बजाय शांति की राह पर चलकर देश को आज़ादी दिलाना चाहते थे, इनमें सबसे प्रमुख नाम हैं-: महात्मा गांधी का. उनके इसी शांति, सत्य और अहिंसा का पालन करने वाले रवैये के कारण लोग उन्हें ‘महात्मा’ संबोधित करने लगे थे.
आइये हम इस महात्मा के बारे में और भी जानकारियां साझा करते हैं


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महात्मा गांधी  (Mahatma Gandhi) कौन थे और उसके परिवार का परिचय?

महात्मा गांधी  (Mahatma Gandhi) का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था इसका जन्म 2 अक्टूबर 1869 ईसवी में पश्चिम भारत में वर्तमान गुजरात के एक तटीय सर पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था! उसके पिता का नाम करमचंद गांधी था! सनातन धर्म की पंसारी जाति से संबंध रखते थे! गुजराती भाषा में गांधीजी का अर्थ पंसारी जबकि हिंदी भाषा में गांधीजी का अर्थ है इत्र फुलेल बेचने वाला जिससे अंग्रेजी मैं परफ्यूमर कहा जाता है! गांधीजी का माता का नाम पुतलीबाई थी! परनामी वैश्य समुदाय की की पुतलीबाई करमचंद की चौथी पत्नी थी! उनकी पहली तीनों पत्नियों प्रसव के समय मर गई थी! गांधीजी 13 साल की आयु पूर्ण करते ही उसका विवाह 14 साल की कस्तूरबा से हुआ था! लॉक उसे प्यार से बा कहते थे या विवाह उनके माता-पिता द्वारा तय किए गए स्थिति बाल विवाह था! जो उस समय उस क्षेत्र में प्रचलित था लेकिन उस क्षेत्र का रीति अलग थी शादी के बाद वह पति से बहुत समय तक अलग रहना पड़ता था! जब गांधी जी 24 वर्ष के थे तब उनकी पहली संतान ने जन्म लिया लेकिन वह केवल कुछ दिनों का ही मेहमान रहा और इसी साल उसके पिता करमचंद गांधी भी चल बसे! मोहनदास और कस्तूरबा के चार संतान हुए जो सभी पुत्र थे!

1) हरीलाल गांधी

2) मणिलाल गांधी

3) रामदास गांधी

4) देवदास गांधी

महात्मा गाँधी की अनसुनी कहानिया

महात्मा गाँधी | Mahatma Gandhi जब बचपन में अपने पढाई में बहुत ही कमजोर थे लेकिन उन्हें पुस्तके पढने का बहुत ही शौक था जब भी महात्मा गाँधी को कोई अच्छी पुस्तक मिलती तो उसे खूब मन लगाकर पढ़ते थे एक बार महात्मा गाँधी को एक ऐसा पुस्तक मिला जिसमे श्रवण कुमार और उनके माता पिता के सेवा की कहानी थी किस प्रकार श्रवण अपने प्राणों की आहुति देकर भी अपने माता पिता की सेवा करते है जिसे पढकर महात्मा गाँधी बहुत ही प्रभावित हुए और उन्होंने निश्चय किया की वे भी श्रवण कुमार की तरह अपने माता पिता की सेवा करेगे.

और जब उन्हें अपने पड़ोस में हरिचन्द्र के जीवन पर आधारित नाटक को देखने का मौका मिला हरिश्चन्द्र के नाटक को देखकर महात्मा गाँधी | Mahatma Gandhi के आखो में आशु आ गये और उन्होंने जीवन भर सत्य की राह पर चलने की कसम खायी चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी कष्ट क्यू न उठाने पड़े और महात्मा गाँधी ने आजीवन सत्य के राह पर चले

महात्मा गांधी की पढ़ाई कैसे हुई कहां पड़े थे?

महात्मा गांधी अपने 11वीं जन्मदिन से लगभग एक महीना पहले ही 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए वहां के लोगों ने गांधी जी की श्रीमभगवतगीता पढ़ने के लिए प्रेरित किया हिंदू ईसाई बौद्ध इस्लाम और अन्य धर्मों के बारे में पढ़ने से पहले गांधी ने धर्म में विशेष सूची नहीं दिखाई इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन ने वापस बुलावे पर वे भारत लौट आए किंतु मुंबई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली बाद में 1 हाई स्कूल के रूप में असंकालिक नौकरी का प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिए जाने पर उन्होंने जगत मंदो के लिए मुकदमे की अर्जियां लिखने राजकोट को ही अपना स्थाई मुकाम बना लिया परंतु एक अंग्रेज अधिकारी की मूर्खता के कारण पुणे या कारोबार भी छोड़ना पड़ा!


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महात्मा जी का क्या सिद्धांत थे?

महात्मा गांधी का सिद्धांत निम्नलिखित है

सत्य :-गांधी जी ने अपना जीवन सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया है उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं की गलतियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की गांधीजी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दृष्ट आत्माओं भय और असुरक्षा जैसी तत्व पर विजय पाना है गांधीजी सत्य को ईश्वर मानते थे एक वऻय वायसराय लॉर्ड कर्जन ने कहा था की सत्य की कल्पना भारत में यूरोप से आई है मैं सत्य के रूप में परमात्मा की पूजा करता हूं सत्य की खोज में अपने प्रिय वस्तु को बलि चढ़ा सकता हूं!

अहिंसा :-ऐसा पर गांधी जी ने बड़ा सूक्ष्म विचार किया है वे लिखते हैं ऐसा की परिभाषा बड़ी कठिन है अमुक काम का हिस्सा है या अहिंसा यह सवाल मेरे मन में कई बार उठा है मैं समझता हूं कि मन वचन और शरीर से किसी को भी दुख ना पहुंचाना अहिंसा है इस पर अमल करना देहधारी के लिए असंभव है!

ब्रह्मचर्य :-जो मन वचन और काया से इंद्रियों को अपने वश में रखता है वही ब्रह्मचारी है जिसके मन के विकार नष्ट नहीं हुए हैं उसे पूरा ब्रह्मचारी नहीं कहा जा सकता है मन वचन से भी विकारी भाव नहीं जागृति होनी चाहिए ब्रह्मचर्य की सावधानी करने वाले को खानपान का संयम रखना चाहिए उन्हें जीत का स्वाद छोड़ना चाहिए और बनावट संयमी लोगों के लिए ब्रह्मचारी आसान है!

अपरिग्रह :-जिस प्रकार चोरी करना पाप है उसी प्रकार जरूरत से ज्यादा चीज इस्तेमाल करना भी पाप है!

प्रार्थना :-प्रार्थना का मूल अर्थ मांगना है पर गांधी जी का प्रार्थना का अर्थ ईश्वर भजन कीर्तन सत्संग आत्मा शुद्धि मानते थे अंग्रेजी कभी टेनिसन ने लिखा है प्रार्थना से वह सब कुछ संभव हो जाता है जिसके संसार कल्पना नहीं कर पा सकता गांधी जी का भी कुछ ऐसा ही विश्वास था!

महात्मा गांधी की मृत्यु कब और कैसे हुई?When and how did Mahatma Gandhi die

30 जनवरी 1948 ईसवी इसे मैं गांधी कि उस समय नाथूराम गॉड द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वे नई दिल्ली के बिरला भवन बिरला हाउस के मैदान में रात मैं चहल कदमी कर रहे थे!गांधी का हत्यारा नाथूराम गोडसे हिंदू राष्ट्रवाद थे जिनके कट्टरपंथी हिंदू महासभा के साथ संबंध थे जिस ने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे को लेकर भारत को कमजोर बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था गॉड से और उसके षड्यंत्र कारी नारायण आप्टे वह बाद में केस चला कर सजा दी गई तथा 24 नवंबर 1949 को इन्हें फांसी दे दी गई राजघाट नई दिल्ली में गांधी जी के स्मारक पढ़ देव नागरिक में हे राम लिखा हुआ है ऐसा व्यापक तौर पर माना जाता है कि जब गांधी जी को गोली मारी गई तब उसके मुंह से निकलने वाली यह अंतिम शब्द थे!

महात्मा गांधी जी (Mahatma Gandhiji) द्वारा चलाए गए महत्वपूर्ण आंदोलन?

1) चंपारण आंदोलन

2) असहयोग आंदोलन

3) नमक सत्याग्रह

4) दलित आंदोलन

5) भारत छोड़ो आंदोलन

विदेश में शिक्षा और वकालत

मोहनदास अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे इसलिए उनके परिवार वाले ऐसा मानते थे कि वह अपने पिता और चाचा का उत्तराधिकारी (दीवान) बन सकते थे। उनके एक परिवारक मित्र मावजी दवे ने ऐसी सलाह दी कि एक बार मोहनदास लन्दन से बैरिस्टर बन जाएँ तो उनको आसानी से दीवान की पदवी मिल सकती थी। उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके विदेश जाने के विचार का विरोध किया पर मोहनदास के आस्वासन पर राज़ी हो गए।

वर्ष 1888 में मोहनदास यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये। अपने माँ को दिए गए वचन के अनुसार ही उन्होंने लन्दन में अपना वक़्त गुजारा। वहां उन्हें शाकाहारी खाने से सम्बंधित बहुत कठिनाई हुई और शुरूआती दिनो में कई बार भूखे ही रहना पड़ता था। धीरे-धीरे उन्होंने शाकाहारी भोजन वाले रेस्टोरेंट्स के बारे में पता लगा लिया।

इसके बाद उन्होंने ‘वेजीटेरियन सोसाइटी’ की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। इस सोसाइटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे और उन्होंने मोहनदास को गीता पढने का सुझाव दिया।

जून 1891 में गाँधी भारत लौट गए और वहां जाकर उन्हें अपनी मां के मौत के बारे में पता चला। उन्होंने बॉम्बे में वकालत की शुरुआत की पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद वो राजकोट चले गए जहाँ उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरू कर दिया परन्तु कुछ समय बाद उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा।

आख़िरकार सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लिया।

 

महात्मा गांधी जी  द्धारा लिखी गईं किताबें ,Books written by Mahatma Gandhiji

महात्मा गांधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी, अच्छे राजनेता ही नहीं बल्कि एक बेहतरीन लेखक भी थे। उन्होंने अपने लेखन कौशल से देश के स्वतंत्रता संग्राम और आजादी के संघर्ष का बेहद शानदार वर्णन किया है। उन्होंने अपनी किताबों में स्वास्थ्य, धर्म, समाजिक सुधार, ग्रामीण सुधार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लिखा है।

आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी (Mahatma Gandhi) ने इंडियन ओपनियन, हरिजन, यंग इंडिया, नवजीवन आदि पत्रिकाओं में एडिटर के रुप में भी कार्य किया है। उनके द्धारा लिखी गईं कुछ प्रमुख किताबों के नाम निम्नलिखित हैं-

  • हिन्दी स्वराज (1909)
  • मेरे सपनों का भारत (India of my Dreams)
  • ग्राम स्वराज (Village Swaraj by Mahatma Gandhi)
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (Satyagraha in South Africa)
  • एक आत्मकथा या सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी (An Autobiography or The Story of My Experiments with Truth (1927)
  • स्वास्थ्य की कुंजी (Key To Health)
  • हे भगवान (My God)
  • मेरा धर्म(My Religion)
  • सच्चाई भगवान है( Truth is God)
  • इसके अलावा गांधी जी ने कई और किताबें लिखी हैं, जो न सिर्फ समाज की सच्चाई को बयां करती हैं, बल्कि उनकी दूरदर्शिता को भी प्रदर्शित करती हैं।

एक नजर में महात्मा गांधीजी की जीवन कार्य – Mahatma Gandhi Short Biography……

  • 1893 में दादा अब्दुला के कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। महात्मा गांधी जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगों को संघटित करके उन्होंने 1894 में “नेशनल इंडियन कॉग्रेस” की स्थापना की।
  • 1906 में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना जरुरी था। इसके अलावा रंग भेद नीती के खिलाफ उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
  • 1915 में महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
  • 1919 में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन शुरु किया।
  • 1920 में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
  • लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया 1920 में।
  • 1920 में नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया। असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
  • 1924 में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद।
  • 1930 में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुआ। नमक के उपर कर और नमक बनाने की सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
  • 1931 में राष्ट्रिय सभा के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे।
  • 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
  • 1933 में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
  • 1934 में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की। हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी।
  • 1942 में चले जाव आंदोलन शुरु हुआ। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
  • व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी – Mahatma Gandhi ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः 15 अगस्त 1947 में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया।
  • 1948 में नाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था।

महात्मा गांधी महान ( Mahatma Gandhi)पुरुष थे उन्होनें अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण काम किए वहीं गांधी जी के आंदोलनों की सबसे खास बात यह रही कि उन्हें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सभी संघर्षों का डटकर सामना किया।

उन्होनें अपने जीवन में हिंदू-मुस्लिम को एक करने के भी कई कोशिश की। इसके साथ ही गांधी जी का व्यक्तित्व ऐसा था कि हर कोई उनसे मिलने के लिए आतुर रहता था और उनसे मिलकर प्रभावित हो जाता था।

मोहनदास करमचंद गांधी :– Mahatma Gandhi भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले। विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।

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