Triple Talaq Bill: तीन तलाक बिल

17 May
तीन तलाक

क्या है तीन तलाक?

इस्लाम में तालाक की एक प्रक्रिया बताई गई है! तीन तलाक का यह मतलब नहीं कि तलाक, तलाक, तलाक बोल दो और रिश्ता खत्म!

तीन तलाक होने में 3 महीने से ज्यादा वक्त लगते हैं! अगर किसी महिला और पुरुष रिश्ते इतना बिगर चुकी हो कि उनमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं रहती, तो काजी और गवाहों के सामने पुरुष महिला को पहला तलाक दे सकता है!

इसके बाद दोनों करीब 40 दिन साथ गुजारते हैं! पर शारीरिक संबंध नहीं बनाते हैं! इस बीच में उनको लगता है कि अगर फैसला गलत हो या जल्दबाजी में लिया गया है तो यह सभी को यह बता कर फिर से साथ रह सकते हैं! पर अगर अब भी वह उनके बीच सब ठीक नहीं होता तो पुरुष उन सभी के सामने फिर दूसरा तलाक देता है!

और फिर लगभग 40 दिन पति पत्नी फिर साथ गुजारते हैं!

इस बार भी अगर दोनों के संबंध में सुधार नहीं होता और अभी भी वह अलग रहना चाहते हैं तो फिर तीसरा तलाक के साथ दोनों हमेशा के लिए अलग हो जाते हैं!

तलाक का इतिहास:- इस्लाम से पहले अरब में औरतों की दशा बहुत खराब थी! जब गुलामों की तरह खरीदी बेची जाती थी तलाक भी कई तरह के हुआ करते थे! जिसमें महिलाओं के अधिकार ना के बराबर थे!

इस दयनीय स्थिति में पैगंबर हजरत मोहम्मद सब खत्म कड़ाकर तलाक-ए-अहसन लाए!

तलाक ए अहसन तलाक का सबसे अच्छा तरीका माना गया!

यह 3 महीने के अंतराल मैं दिए जाते हैं इसमें तीन बार तलाक बोलना जरूरी नहीं है एक बार तलाक कहकर 3 महीने का इंतजार किया जाता है! 3 महीने के अंदर अगर मियां बीवी एक साथ नहीं आते हैं तो तलाक हो जाएगा!

इस तरीके में महिला की गरिमा बनी रहती है और वह न निभ वाले शादी के संबंध से आजाद जाती है!


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तीन तलाक से होने वाली परेशानियां?

टेक्स्ट मैसेज, फेसबुक, स्काइप, ई-मेल आदि के जरिए किए जाने लगा है और ऐसी घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है! क्योंकि इस्लामी नीति में यह कानून सही है, अतः पुरुष को कोई फर्क नहीं पड़ता!

वहीं दूसरी तरफ वैसी स्त्रियां जो आर्थिक रूप से अपने शौहर पर निर्भर रहती हैं! उन्हें इस तरह के तलाक से आने वाले जिंदगी में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है! आर्थिक परेशानी के साथ वे भावनात्मक रूप से भी टूट जाती है! ऐसी महिलाओं को किसी भी तरह से जीवन निर्वाह का जरिया नहीं मिल पाता है!

यह औरत अक्सर जिंदगी में अकेली पड़ जाती है इनके पास अपने बच्चे को पाली का कोई जरिया नहीं रहता है!

ऐसे अधिकतर केसौ में तीन तलाक हो जाने के बाद आदमी अपने बच्चे की मुख्यतः अपने बेटी की जिम्मेदारी कभी नहीं लेता है! समाज की कई मुस्लिम महिला इस बात से डर मैं अपनी जिंदगी गुजार देते हैं कि उनके पति कब यह तीन शब्द कह दे और उनकी जिंदगी खत्म होने के कगार पर आ जाए!

अन्य देशों में तीन तलाक है बैन

भारत एक ऐसा देश है जहां शोहर बीवी को एक साथ तीन तलाक बोल कर अपना रिश्ता खत्म कर सकता है!

लेकिन अन्य देशों में ऐसा नहीं है!

भारत के अलावा दुनिया के ऐसे 22 देश हैं जहां तीन तलाक पूरी तरह से बैन है!
सबसे पहले मिस्र मैं तीन तलाक को बैन किया गया था!

हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी तीन तलाक 1956 से ही बैन है! इसी फेहरिस्त मैं सूडान, जाडन, अल्जीरिया, ईरान, मोरक्को, कतर और यूएई मैं भी तीन तलाक बैन है!

तीन तलाक बिल क्या है?

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तीन तलाक बिल एक बार फिर सांसद में है!

मोदी सरकार ने 17 वी लोकसभा में अपने पहले बिल के रूप 21 जून को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019′ पेश किया!

विपक्ष के विरोध के बीच यह बिल 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश हुआ बिल को पेश किए जाने के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसदों खासतौर पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और ऑल इंडिया मजलिस ए इतिहाद उल मुस्लिम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के तीखी बहस हुई!

कानून मंत्री ने सांसद में बिल को पेश करते हुए कहा की यह मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए है! यह नारी के सम्मान और नारी न्याय का सवाल है, धर्म का नहीं!

रविशंकर प्रसाद ने सवाल किया कि जब उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी मुस्लिम महिला तीन तलाक के चलन से पीड़ित है तो क्या संसद को इस पर विचार नहीं करना चाहिए!

कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल को असंवैधानिक और भेदभाव वाला बताकर विरोध किया! लेकिन रवि शंकर प्रसाद ने इस पर कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15 के खंड 3 में कहा गया है कि सरकार को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान बनाने से नहीं रोका जा सकता!

कानून मंत्री ने बताया, क्यों जरूरी है बिल

रविशंकर प्रसाद दिल की ज़रूरत को बताते हुए कहा, ’70 साल बाद क्यों सांसद को नहीं सोचना चाहिए कि तीन तलाक से पीड़ित महिला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी न्याय की गुहार लगा रही है तो क्यों उन्हें न्याय नहीं मिलना चाहिए!

2017 से 543 केस तीन तलाक के आए, 239 तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आए!

अध्याय के बाद भी 31 मामले सामने आए!

इसलिए हमारी सरकार महिलाओं के सम्मान और गरिमा के साथ है! ‘

बता दी कि मोदी सरकार ने सितंबर 2018 4 फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था क्यों किया राज्यसभा से पारित नहीं हो सका था!

कांग्रेस ने किया तीन तलाक बिल का विरोध?

कांग्रेस ने तीन तलाक बिल पेश किए जाने का विरोध किया! तिरुवंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दिल का यह ककड़ी विरोध किया कि यह समुदाय के आधार पर भेदभाव करता है! थरूर ने कहा, ‘मैं तीन तलाक का विरोध नहीं करता लेकिन इस बिल का विरोध कर रहा हूं!

तीन तलाक को अपराधिक बनाने का विरोध करता हूं! मुस्लिम समुदाय ही क्यों किसी भी समुदाय की महिलाओं को अगर पति छोड़ता है तो उसे अपराधी क्यों नहीं माना जाना चाहिए!

सिर्फ मुस्लिम पत्तियों को सजा के दायरे में लाना गलत है! यह समुदाय के आधार पर भेदभाव है जो संविधान के खिलाफ है!

असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को महिला के हितों के खिलाफ बताया?

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक बिल संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन बताकर विरोध किया! ओवैसी ने बिल को मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला बताया!

AIMIM सांसद ने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिए कि एक बार में तीन तलाक से शादी खत्म नहीं हो सकती! अगर किसी नॉन मुस्लिम पति पर केस हो तो उसे 1 साल की सजा, लेकिन मुस्लिम पति को 3 साल की सजा!

यह भेदभाव संविधान के खिलाफ है! यह महिलाओं के हितों के खिलाफ है!

असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया कि अगर पति जेल में रहा तो महिलाओं को मेंटेनेंस खर्च कौन देगा! क्या सरकार मेंटेनेंस का खर्च उठाएगी?

विधानसभा चुनाव में तीन तलाक बिल का फायदा?

हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं! इन तीनों ही राज्य में अच्छी-खासी मुस्लिम आबादी है! झारखंड में सबसे ज्यादा 15 फ़ीसदी मुस्लिम है, जबकि महाराष्ट्र में आबादी 11.56 फीसदी और हरियाणा में तकरीबन सात परसेंट है! 2019 लोकसभा चुनाव में महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में मतदान किया था! ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि इस मुद्दे से महिलाओं में हुआ प्रभाव छोड़ पाएगी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मुस्लिम महिलाओं से भी कुछ समर्थन मिलने की उम्मीद है!

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