भारत छोड़ो आंदोलन क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है? : Bharat chhodo andolan
भारत छोड़ो आंदोलन :-
भारत छोड़ो आंदोलन के समय 9 अगस्त 1942 ईस्वी को आरंभ किया गया यही एक आंदोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रितानी समाज को समाप्त करना था! यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति मुंबई अभी अधिवेशन में शुरू किया गया था हालाकी गांधी जी को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया था!
लेकिन देशभर के युवा कार्यकर्ता हड़ताल और तोड़फोड़ के जरिए आंदोलन चलाते रहें 9 अगस्त 1942 के दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे और कांग्रेस को गैर कानूनी संस्था घोषित कर दिया गया गांधी जी के साथ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू की यरवदा पुणे के आगा खान पैलेस में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को बाकी पुर्जे पटना वह अन्य सभी सदस्यों की अमदाबाद नगर के किले नजर बंद किया गया था!
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सरकारों के अनुसार जन आंदोलन में 940 लोग मारे गए शोलों सकती घायल हुए 98000 लोग डी आई आर नजर बंधुवर बंद हुए तथा 60229 गिरफ्तार हुए! आंदोलन को कुचल लेके यह आखिरी दिल्ली सेंट्रल असेंबली मे आनरेबुल होम मेंबर्स ने पेश किए थे बेटी सरकारी भारत वर्मा सीमा पर जापान सेना का विरोध पढ़ा था
इस समय गांधी समेत कई नेताओं की पकड़ कर ब्यूटीज शासन ने जेल में डाल दिया सभी अगस्त नेताओं को जेल में डाल देने पर उस समय किया युवा कांग्रेस नेता अरुण अशरफ अली ने ए आई सीसी सेशन की अध्यक्षता की और 9 अगस्त को झंडा फहराया इसके बाद कांग्रेस पार्टी पर पाबंदी लगा दी गई कांग्रेस नेताओं पर कितनी जातियों कि देखकर लोगों के दिल में इनके प्रति सहानुभूति का भावना आने लगी हालांकि इस समय कोई ऐसा नेता नहीं था!
जो ब्रिटिश हुकूमत के इन फैसलों का विरोध कर सके किंतु जल्द ही खुद-ब-खुद आम लोग सड़क पर आए और अपने विरोध दर्ज कराएं विशेष नेतृत्व ना होने की वजह से लोगों का विरोध कहीं-कहीं हिंसक रूप भी ले लेना लगा था वर्ष 1944 से भारत पुणे शांति पथ पर कांग्रेसी हुआ किंतु अब कांग्रेस के नेतृत्व का प्रभाव कम हो गया था!
इस आंदोलन को भारत के अधिकतर राजनीति संस्थाओं का समर्थन ना प्राप्त होने की वजह से या फेल हो गया और एक समय तक कांग्रेस तथा महात्मा गांधी की इसकी आलोचना झेलनी पड़ी!
लोगों ने खुद अपना नेतृत्व किया
लेकिन आंदोलन के असर को इस तरह से समझा जा सकता है कि बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद जनता ने आंदोलन की बागडोर अपने हाथों में ले ली। हालांकि ये अंहिसक आंदोलन था पर आंदोलन में रेलवे स्टेंशनों, सरकारी भवनों आदि को निशाना बनाया गया।
ब्रिटिश सरकार ने हिंसा के लिए कांग्रेस और गांधी जी को उत्तरदायी ठहराया। लेकिन पर लोग अहिंसक तौर पर भी आंदोलन करते रहे। पूरे देश में ऐसा माहौल बन गया कि भारत छोड़ो आंदोलन अब तक का सबसे विशाल आंदोलन साबित हुआ।
भारत छोड़ो आंदोलन का असर ये हुआ कि अंग्रेजों को लगने लगा कि अब उनका सूरज अस्त होने वाला है।
पांच साल बाद 15 अगस्त 1947 को वो दिन आया जब अंग्रजों का प्रतीक यूनियन जैक इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है।